Wednesday, December 24, 2008

पता नही क्‍यो ?

आज बहुत दिनो बाद,
तुम्‍हारी याद आई।
पता नही क्‍यो ?
अब तक तुम क्‍यो नही आये ?

तुम्‍हे मै दिल में रखती थी,
चाहती थी कि तुम रहो पास।
पता नही क्‍यो ?
तुम क्‍यो दूर चले गये ?

याद तो मै तुम्‍हे,
यूँ तो रोज करती थी।
पता नही क्‍यो ?
तुम ऐसे क्‍यो नही याद आये ?

नया साल आने को,
पर तुम क्‍यो नही आये ?
जो चोट दिये मेरे दिल,
कि चाह कर भी आँसू नही आये।।

अब दर्द मत दो,
अब सहन करने की साहस नही।
अब तो लौट आओं,
अब तो लौट आओं।।

Friday, September 5, 2008

मोहब्‍बत का नाम लोगे तो तहलका होगा

आरकुट पर हमारे मित्र रवि जी हमें तुकबंदी करने की इच्‍छा जाहिर की, तो हाजिर है हमारी तुकबंदी:-

मोहब्‍बत का नाम लोगे तो तहलका होगा,
दोबारा मिले तो अब रण होगा।।
हुँकार भरेगी नारी शक्ति,
तेरे जैसो का अब वध होगा।।

"Dikha kar khawaab in aankhon ko, De gaye aansoon in mein Tum..
Kaise chalka doo yeh aansoon, In mein bhi To rehTe ho Tum.."


छेड़ना छोड दो हमको,
नही तो मुँह तोड़ जवाब मिलेगा।
अब अगर चूँ तक की तो,
सिर पर पड़ रहे चप्‍पलो का एहसास होगा।।

Jaise taise karke sammelan khatam hua..
Ek aadh beech mein kuch acha bhi tha..
EK baar ja ke ismein nishchay kar liya hai..
Phir kisi sammelan mein jaana na tha..


अभी मै जा रही हूँ, तेरे साथ अभी बात बाकी है।
सघर्ष रहेगा जारी, तू नही मानेगा हारी।।
मेरे जाने का यह अर्थ नही की मै हार गई,
वक्‍त का तकाजा है, वक्त हमारे पास नही।।
आपसे तुक बंदी काफी अच्‍छी लगी, फिर बात होगी।

inshaahallaah jaldi mulakaat hogi
SAT sri akal ,aadaab and JAI HIND!!!!!!!!!!!

Sunday, August 24, 2008

कन्‍हैया लाल जी


नंद के घर पैदा हुये,
कन्हौया लाल जी।
यशोदा को आनंद दियों,
कन्हैया लाल जी।।

धरती के पाप हरो,
कन्हैया लाल जी।
भक्ति के भाव रच्यों,
कन्हैया लाल जी।

गोपियन से रास रच्यो,
कन्हैया लाल जी।
ग्वालन के सखा भयो,
कन्हैया लाल जी।।

पूतना के पूत भयो,
कन्हैया लाल जी।
मामा के पाप हर्यो,
कन्हैया लाल जी।

महाभारत के नीव रख्यो,
कन्हैया लाल जी,
पांडव का साथ दियो,
कन्हैया लाल जी।।

दौपदी के लाज रख्यो,
कन्हैया लाल जी।
शिशु पाल का वध कियो,
कन्हैया लाल जी।।

गीता का पाठ कियो,
कन्हैया लाल जी।
अर्जुन का मोह हटायो,
कन्हैया लाल जी।।

पाड़व की जीत रच्यो,
कन्हैया लाल जी।
मानव का उद्धान कियो,
कन्हैया लाल जी।।

Monday, July 28, 2008

दिल की बात

किसी मोड़ पर रूबरू होने पर,
पहचान धीरे धीरे होती है।
गर दोस्‍ती का सफर चलता रहा तो,
बातों का कारवाँ चलता रहेगा।

किसी मोड़ पर मिलेगे,
हम अजनबी होकर।
जब तुम बातें करोगें हमसें,
समझोगे अपना बनकर।।

Saturday, July 26, 2008

प्रियतम प्रियतमा संवाद

प्रियतमा प्रियतम से-
प्रियतम के प्‍यार में दिवानी होने का,
मतलब ही कुछ और होता है।
जुल्‍मों सितम की हर को तोड़ कर,
प्‍यार का एहसास कुछ और होता है।।

प्रियतम प्रियतमा से-
दिल को छूती है तेरी मादकता,
एहसास दिलाती है सुन्‍दरता।
ओठों की तेरी लाली,
दिलवाती है मुझको गाली।।

Sunday, May 4, 2008

तमन्ना

तमन्ना दिल में छिपी हुई है,
वक्त मिलता नहीं की उजागर करू.
भावों में छिपे रहते है,
जिनके इंतजार में हम रुके रहते है.
वफ़ा का दौर जब आता है,
सिलसिला प्यार का शुरू होता है.
दुनिया में सब एकाकी है,
मिला जो प्यार तेरा वो काफी है.
जिगर की आग बुझने को,
प्रिय का आलिगन काफी है.

ऊचाई

ऊचाई ऐसी हो,
जो सबसे ऊँची हो।
इरादा ऐसा हो
जो सबसे पक्का हो।

साथी ऐसे हो,
जो भरोसे के काबिल हो,
जीवन साथी ऐसा हो
जो केवल तुम्हारा हो।

साथी

मै अपने बारे क्या बताऊँ ?
यह एक लम्बी कहानी है।
रास्ते में चलते चलते,
जो मिल गये वो मेरे साथी है।
अगर देखों मुझे तो,
खुद में मुझे पाओंगें।
इन्तज़ार में तुम्हारे,
रोक रखे अफ़साने है।
चलती हूँ डगर पर,
समह समह के।
गिराने का डर नही,
गिराने वालों से है।