Sunday, May 4, 2008

तमन्ना

तमन्ना दिल में छिपी हुई है,
वक्त मिलता नहीं की उजागर करू.
भावों में छिपे रहते है,
जिनके इंतजार में हम रुके रहते है.
वफ़ा का दौर जब आता है,
सिलसिला प्यार का शुरू होता है.
दुनिया में सब एकाकी है,
मिला जो प्यार तेरा वो काफी है.
जिगर की आग बुझने को,
प्रिय का आलिगन काफी है.

ऊचाई

ऊचाई ऐसी हो,
जो सबसे ऊँची हो।
इरादा ऐसा हो
जो सबसे पक्का हो।

साथी ऐसे हो,
जो भरोसे के काबिल हो,
जीवन साथी ऐसा हो
जो केवल तुम्हारा हो।

साथी

मै अपने बारे क्या बताऊँ ?
यह एक लम्बी कहानी है।
रास्ते में चलते चलते,
जो मिल गये वो मेरे साथी है।
अगर देखों मुझे तो,
खुद में मुझे पाओंगें।
इन्तज़ार में तुम्हारे,
रोक रखे अफ़साने है।
चलती हूँ डगर पर,
समह समह के।
गिराने का डर नही,
गिराने वालों से है।