तमन्ना दिल में छिपी हुई है,
वक्त मिलता नहीं की उजागर करू.
भावों में छिपे रहते है,
जिनके इंतजार में हम रुके रहते है.
वफ़ा का दौर जब आता है,
सिलसिला प्यार का शुरू होता है.
दुनिया में सब एकाकी है,
मिला जो प्यार तेरा वो काफी है.
जिगर की आग बुझने को,
प्रिय का आलिगन काफी है.
वक्त मिलता नहीं की उजागर करू.
भावों में छिपे रहते है,
जिनके इंतजार में हम रुके रहते है.
वफ़ा का दौर जब आता है,
सिलसिला प्यार का शुरू होता है.
दुनिया में सब एकाकी है,
मिला जो प्यार तेरा वो काफी है.
जिगर की आग बुझने को,
प्रिय का आलिगन काफी है.